Thursday, September 13, 2012

Baarish, boondein

बारिश की वह बूँदें भी क्या खुशनसीब होगी ,
तेरी ज़ुल्फों मे उलझ कर जो आज खोयी होगी ,
बालों को ना झटकाना अब ,
मोतियों की कीमत भी इनसे कम होगी ..

तेरे चेहरे पर भी बूँदें बरसी होगी ,

बलखा कर गालों से उतरी होगी ,
जलता हूँ यह सोच कर मैं ,
तेरे होठों को चूम कर कितना इतरी होगी ..

वह बूँदें जो तेरे हाथ पर गिरी होगी ,

अपनेपन के एहसास मे कितना झूमी होगी ,
नाच नाच कर पहुची तेरी उँगलियों तक जब ,
साथ छूटने के गम मे कितना रोयी होगी ..

कुछ बूँदें तेरे काँधे पर भी गिरी होगी ,

कमर की ओर बढ़ते हुए तुझे गुद्गुदायी होगी ,
क्या याद मेरी आयी तुझे तब ?
रोम -रोम उस बूँद ने जब मचलायी होगी ..

~Saurav Goyal

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