Tuesday, January 21, 2014

Rail ki patriyan....



इन रेल की पटरियों ने बहुत कुछ देखा है । 

बाड़ भी देखी है, सूखा भी देखा है । 

कश्मीर की वादियों में कुदरत का करिश्मा देखा है । 

और गुजरात की गलियों में इनसानीयत को रूबरू देखा है ।। 



इन रेल की पटरियों ने बहुत कुछ देखा है । 

कभी प्यार पनपते हुए, कभी जान जाते हुए देखा है । 

इसने कितनो को सफ़र में दोस्त बनते देखा है । 

और कितने ही हमलों में दोस्तों को इसपर जान गवाते देखा है ।। 



इन रेल की पटरियों ने बहुत कुछ देखा है । 

सरकारें भी देखी  है, शासन भी देखा है । 

अंग्रेज़ों को देश लूटते हुए देखा है । 

और भगत-आज़ाद को देश के लिए लुट जाते देखा है ।।  



इन रेल की पटरियों ने बहुत कुछ देखा है । 

आज़ादी की जंग भी देखी है, आज़ाद भारत को लड़ते भी देखा है । 

इसने गाँधी को देश पाने के लिए अनशन करते देखा है । 

और अब अन्ना को देश सुधारने के लिए अनशन करते देखा है ।। 



इन रेल की पटरियों ने बहुत कुछ देखा है । 

सरहदें पार कराते कराते, नयी सरहदें बनते देखा है । 

बंगाल को बांग्लादेश बनते देखा है । 

और पँजाब को पाकिस्तान बनते देखा है ।। 



इन रेल की पटरियों ने बहुत कुछ देखा है । 

आँखें मूँदें, सर झुकाएं देखा है । 

इनमे जो ज़ुबान होती तो यह अपनी दास्तान सुनाते । 

किस तरह देश का इतिहास बनते देखा है ।। 



इन रेल की पटरियों ने सब देखा है, सब देखा है ।। 



~ सौरव गोयल 

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